हार क्यूँ मानू मै?
हार क्यूँ मानू मै?
है हौसला अभी बाकी मुझमे, अभी टुटा नही हु मै ।
चल रही साँसे अभी मुझमे, अभी बदलो के बीच खोया नही मै ।।
है जिंदगी अगर जंग का मैदान कोई ,
हूँ सैनिक ,कोई कायर नही मै ।
संघर्ष किया है, संघर्ष करूँगा मै
एक बार हारा है बार-बार हरूँगा नही मै।।
हार क्यूँ मानू मैं?
संघर्ष में निखरना सीखिये बिखरना नही। एक बार नाकामयाब हो सकते है बार-बार नही। आपके जिद्दी हौसले से एक दिन आपके दुखो का अंत होगा और आप एक कामयाब इंसान बनेंगे।
छू सकता है तू आसमान की ऊँचाई को भी,
एक बार ऊँची छलांग तो लगा के देख।
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