Motivational Poem in Hindi
"हर रोज उठता हूँ एक नया सवेरा लिए"
हर रोज उठता हूँ एक नया सवेरा लिए,
आज दिन नया है सुरुआत नयी करूँगा मन में ये हौसला लिए,
निकल पड़ा फिर मैं एक अनजान रास्ते पे एक अनजान मुसाफिर की तरह, सीने में एक नया अरमान लिए,
है रास्ता पथरीला तो क्या हौसला है सीने में गिर के संभल जाने के लिए,
चुभ रहे है काटे पैरो में , आँखों में आँशु भी आ गए है
हाथ है मगर मेरे आशुओ को पोछने के लिए
डरा रहा है ये रास्ता , कदम भी लड़खड़ा रहे है
अब आ गया हूँ मैं इन रास्तो पे , चलूंगा जीत हासिल करने के लिया,
आया नही मैं यहां लौट जाने के लिए।।
मंजिले चाहे कितनी भी कठिन क्यू न हो एक बार जिस रास्ते पे चले डर कर वापस आने वाले कायर होते है। कुछ बनने का ठान लिया है अगर तो हैसला रखो की वो मंजिल एक न एक दिन जरूर मिलेगी और हर एक खूबसूरत मंजिल कठिनाइयों भरी जरूर होती है। हमें इन कठिनाइयों से घबराना नही चाहिए। जिस दिन आपकी मंजिल आपको मिलेगी उस दिन वो सारे दर्द वो तकलीफे जो अपने झेली है वो उस खुसी के आगे फीकी पड़ जाएँगी।
लौट के अगर वापस आ गए तो और भी मुसीबते साथ आएंगी फिर पछताने के अलावा और कुछ हासिल नही होगा। जीवन भर एक ही मलाल रहेगा काश मै घबराया नही होता, काश मैंने हार ना मानी होती, काश????
लौट के अगर वापस आ गए तो और भी मुसीबते साथ आएंगी फिर पछताने के अलावा और कुछ हासिल नही होगा। जीवन भर एक ही मलाल रहेगा काश मै घबराया नही होता, काश मैंने हार ना मानी होती, काश????
मंजिल मिलेगी जरूर नाकामयाबियों से ना डर,
मिलेगी मंजिल तुझे एक न एक दिन कोसिस करता रहा अगर।
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