Sunday, July 21, 2019

हार क्यूँ मानू मै

हार क्यूँ मानू मै?

जिंदगी का दूसरा नाम ही संघर्ष है। ये संघर्ष ही हमें जिना सिखाते है। संघर्ष न हो तो हम कुछ नया करने के बारे में सोचेंगे भी नही। ईश्वर ने सभी मनुष्य को संघर्ष करना सिखाया है चाहे वो आमिर हो या गरीब। कोई दो वक़्त की रोटी के लिए संघर्ष करता है तो कोई अपने मान सम्मान के लिए संघर्ष करता है। कुछ लोग इस संघर्ष में बिखर जाते है तो कुछ निखर जाते है, जो बिखर जाते है वो दुखो से सदैव घिरे रहते हैं। निरासा और हताशा के सिवा कुछ हासिल नही होता। जो लोग संघर्ष में निखर जाते है वो दुसरो के लिए एक प्रेणना बन जाते है तथा जीवन के हर पल को जीना जानते है। इसलिए संघर्ष से हमे डरना नही चाहिये क्योंकि संघर्षो के बाद ही हमें नया जीवन जीने को मिलेगा।
हार क्यूँ मानू मै?

है हौसला अभी बाकी मुझमे, अभी टुटा नही हु मै ।

चल रही साँसे अभी मुझमे, अभी बदलो के बीच खोया नही मै ।।

है जिंदगी अगर जंग का मैदान कोई ,

हूँ सैनिक ,कोई कायर नही मै ।

संघर्ष किया है, संघर्ष करूँगा मै

एक बार हारा है बार-बार हरूँगा नही मै।।

हार क्यूँ मानू मैं?

संघर्ष में निखरना  सीखिये बिखरना नही। एक बार नाकामयाब हो सकते है बार-बार नही। आपके जिद्दी हौसले से एक दिन आपके दुखो का अंत होगा और आप एक कामयाब इंसान बनेंगे।
छू सकता है तू आसमान की ऊँचाई को भी,


एक बार ऊँची छलांग तो लगा के देख।

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